हमारी जिन्दगी तरह-तरह के हँसी-मजाक के रंगों से भरी हुई हैं। हर व्यक्ति जिन्दगी के हर रंग को इस Funny नजरिये से देखकर या सुनकर मजे ले सकता है।
जिन्दगी हमेशा खुशनुमा और शानदार हो जायेगी। हर उम्र के लोग अपनी-अपनी पसंद की कहानियों को पढ़ने का शौक होता है। जिसमे से Funny Story को पढ़ कर उसका आनंद लेने का अपना ही मज़ा है।
इन कहानियों को पढ़ने के बाद हास्य की जो गुदगुदी (tickling) और खिलखिलाकर हंसने (giggle) का अनुभव आसानी से किया जा सकता है।
कुछ दिनो पहले अमेरिका जैसे बड़े देशों में सभी कामकाजी लोगों पर एक शोध किया गया था। शोध में यह बताया गया कि हंसी-मजाक (Gags) के साथ काम करने से कार्य की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
मानसिक तनाव कारण काम में जो ज्यादा गलतियाँ होने की संभावना होती है, हंसी-मजाक के माहौल (Funny Atmosphere) में वो गलतियाँ नहीं होती है।
आप सभी को पसंद आने वाली कुछ छोटी और Funny मनोरंजन कहानियां इस blog में हैं। आप इसे पढ़कर आनंद उठाएं और दूसरों को भी अपने आनंद में शामिल करें।
सलाह

एक बीमार व्यक्ति ने डाक्टर को बुलाया। डाक्टर मोटे थे, अत: लिफ्ट खराब होने की वजह से बीमार व्यक्ति के कमरे तक पहुंचते-पहुंचते वे हांफने लगे। बीमार व्यक्ति बरनार्ड शॉ थे ।
उन्होंने डाक्टर को सबसे आरामदेह कुर्सी पर बैठने को कहा। बिस्तर से उठकर थकान दूर करने के लिए एक गोली देते हुए बोले- “यह तुम्हें फौरन आराम पहुंचाएगी। तुम्हारे कष्ट का असली कारण अधिक भोजन है। मांसाहारी भोजन बंद कर दो, साग-सब्जी और फल खाओ, मैं तुमसे उम्र में दुगुना बड़ा हूं फिर भी सौ गुना चुस्त हूं।
तुमने देखा कि मैं किस तेजी से खाट से उठ बैठा हूं।’ डॉक्टर ने शॉ की चुस्ती की प्रशंसा की। फिर शॉ ने डाक्टर से पूछा कि क्या वे नृत्य कर सकते हैं? वह डॉक्टर नृत्य से अनभिज्ञ थे।
तब शॉ ने संगीत रेडियो पर चला दिया और नाचने लगे। उन्होंने डॉक्टर को सलाह दी – प्रतिदिन कम से कम पंद्रह मिनट तक नाचा करो, तब तुम मेरे समान पतले और चुस्त हो जाओगे।
तुम डॉक्टर लोग ऐसी सलाह बहुत देते हो जो मरीज के लिए अनुपयुक्त होती है। तुम एक डाकिये से अधिक घूमने-फिरने को कहोगे, जबकि वह तो घूमने-फिरने में ही अपनी शक्ति व्यय करता है।
ऐसे ही तुम मुझसे लिखने को मना करोगे जबकि मैं लिखने से ही स्वस्थ रहता हूं। अच्छा, अब यह अनुभवी सलाह देने के लिए तुम मुझे पांच शिलिंग दो।’ डाक्टर मुस्कुरा कर बोले, ‘हां हां। उन्हें काटकर आप मुझे दो पौंड दे दें।’ शॉ ने पूछा, “ये क्यों ?’
“क्योंकि मैंने आपको अच्छा कर दिया है। मुझे मरीज समझकर आप अपने कष्ट भूल गए। आपने नृत्य किया और अपने को चुस्त बतलाया।’ डाक्टर बोले।
डाक्टर की बात सुनकर शॉ खूब खुलकर हंसे।
डा॰ जाकिर हुसैन

घटना उन दिनों की है, जब जाकिर साहब विशेष अध्ययन हेतु जर्मनी में थे। वहां एक ऐसा शानदार रिवाज था। जब अजनबी व्यक्ति से दोस्ती करने के लिए अपना नाम बताकर हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया जाता था।
उस दिन महाविद्यालय में वार्षिकोत्सव था। कार्यक्रम का समय हो चुका था, इसलिए वह जल्दी-जल्दी कदम बढ़ा रहे थे। जैसे ही जाकिर साहब ने महाविद्यालय में प्रवेश किया, कॉलेज के एक प्राध्यापक महोदय ने भी प्रवेश किया। जल्दबाजी और अनजाने में जाकिर हुसैन और प्राध्यापक महोदय एक-दूसरे से टकरा गए।
इस पर प्रोफेसर साहब ने गर्म होते हुए जाकिर साहब से कहा-गधा। ‘जाकिर हुसैन,’ जाकिर साहब तपाक से बोल पड़े और अपना हाथ प्रोफेसर साहब के आगे बढ़ा दिया।
प्राध्यापक महोदय जाकिर हुसैन की इस हाजिर जवाबी से अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने मुस्कराते हुए जाकिर हुसैन से हाथ मिला लिया। बाद में उनकी हाजिर जवाबी की उन्होंने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
Funny Story ‘आपकी जूतियों का ही सत्कार है।’
अरविन्द अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। एक दिन अरविन्द के दोस्तों ने रास्ते में उसको पकड़ लिया।
अरविन्द के दोस्त कहने लगे, कि कभी अपने घर चाय-नाश्ते पर बुलाओ, तुम हो कि, सुनते ही नहीं हो। अरविन्द ने कहा अभी पैसे नहीं है, जब पैसे होंगे तब तुम सभी को चाय नाश्ते पर जरूर बुलाऊँगा।
अरविन्द के दोस्तों ने चार-पाँच महीने तक इंतजार किया। अरविन्द ने फिर भी अपने दोस्तों को चाय नाश्ते पर नहीं बुलाया।
दोस्तों ने कहा, कि आज अरविन्द के घर चलते हैं, और चाय-नाश्ते की छोटी सी पार्टी का आनन्द उठाते है। सभी जाने को तैयार हो गये और अरविन्द के घर चले गये।
अरविन्द अपने सभी खास दोस्तों को देखकर चैंक गया। अरविन्द के दोस्त, जो अब घर पर आ ही गये है, तो उसको समझ में आया कि उसके दोस्त चाय-नाश्ते की छोटी सी पार्टी जरूर लेंगे।
अरविन्द के पास पैसे की कमी नहीं होती, तो ये छोटी सी पार्टी वो कब का दे चुका होता?
अरविन्द के पास उस समय चाय-नाश्ते की छोटी सी पार्टी लायक पैसे भी नहीं थे। अरविन्द ने अपनी पत्नी को बुलाया और कहा कि सबको घर के अन्दर ले चलो।
अब उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था, कि क्या किया जाय? तभी उसकी नजर उन सभी दोस्तों के उतारे गये जूते चप्पलों पर पड़ी। अरविन्द ने सभी जूते चप्पलों को एक थैले में भरकर बाजार ले गया और बेच आया।
अरविन्द ने जूते चप्पलों को बेच कर जो पैसा मिला। उसकी अपने दोस्तों की चाय-पार्टी करवा दी।
दोस्तों ने कहा, यार अरविन्द तुमने चाय-नाश्ते की पार्टी तो बहुत अच्छी की है। अरविन्द बोला, अरे! दोस्तों मैंने तो कुछ भी नहीं किया है, ये सब तो तुम लोगों की वजह से हुआ।
अगर आज तुम लोग नहीं आते तो ये चाय-नाश्ते की पार्टी सम्भव नहीं हो पाती। सभी दोस्त फिर जोर-जोर से हँसने लगे।
थोड़ी देर बाद सभी ने अरविन्द से अपने-अपने घर चलने की इजाजत माँगी। अरविन्द के दोस्त घर के बाहर आये।
सभी ने अपने-अपने जूते-चप्पलों को न पाकर अरविन्द से पूछा कि हम सभी के जूते चप्पल कहाँ गये?
अरविन्द ने कहा कि ये जो चाय-नाश्ते की पार्टी हुई है। ये तो आपकी जूतियों का ही सत्कार था। ये उसी जूते-चप्पलों की वजह से ही सम्भव हो पाया है। तुम सभी लोगों को मैं अपनी और अपनी पत्नी की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ।
अरविन्द के दोस्त कहने लगे, मैं हमेशा इस चाय-नाश्ते की पार्टी को याद रखूंगा। फिर सभी दोस्त नंगे पैर ही अपने-अपने घरों की ओर चल दिए।
Funny Story ’10 करोड़ की लाटरी’
एक बार 80 वर्षीय बुजुर्ग पुरुष (दादाजी) की 10 करोड़ की लाटरी लग गयी। बुजुर्ग के घरवालों को जब यह जानकारी हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
इतनी खुशी की खबर सुनकर कहीं उनके दादाजी दिल का दौरा न पड़ जाये, इसलिए उन्होंने दिल के डाक्टर को भी बुला लिया।
घरवालों ने दिल के डाक्टर से आग्रह किया, कि यह खबर दादाजी को डाक्टर खुद दे।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी को यह खबर मैं धीरे-धीरे दूंगा। ध्यान रहे जब मैं दादाजी से बात कर रहा होउंगा तो कोई बीच में व्यवधान उत्पन्न नहीं करेगा। दादाजी के परिवार वाले मान गये।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी यदि मान लीजिए कि आपकी 50 लाख की लाटरी लग जाये तो आप करेंगे?’
दादाजी ने कहा कि सबसे पहले अपना जो मकान टूट रहा है उसकी मरम्मत करवा दूूंगा। एक 5 लाख की रुपये की गाड़ी, सोना और चाँदी खरीद लूंगा और चैन से रहूंगा।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी यदि मान लीजिए कि आपकी 1 करोड़ की लाटरी लग जाये तो आप करेंगे?’
दादाजी ने कहा कि सबसे पहले अपना जो मकान टूट रहा है, उसको पूरा तुड़वाकर एक शानदार घर में बदल दूंगा। दादाजी बोले एक 10 लाख की रुपये की गाड़ी, टी0वी0, फ्रिज, सोफा सेट, सोना, चाँदी और हीरे की अंगूठी खरीद लूंगा और चैन से रहूंगा।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी यदि मान लीजिए कि आपकी 2 करोड़ की लाटरी लग जाये तो आप करेंगे?’
दादाजी ने कहा जो शानदार घर मैं बनवा रहा था अब उसे आलीशान घर में बदल दूंगा। दादाजी बोले एक 10 लाख की रुपये की गाड़ी, टी0वी0, फ्रिज, सोफा सेट, सोना, चाँदी और हीरे की एक अंगूठी खरीद लूंगा और चैन से रहूंगा।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी यदि मान लीजिए कि आपकी 5 करोड़ की लाटरी लग जाये तो आप करेंगे?’
दादाजी ने कहा जो आलीशान घर मैं बनवा रहा था वो और बड़ और आलीशान बनावा दूंगा। दादाजी बोले एक मर्सडीज गाड़ी, और सबसे अच्छा और बड़ा टी0वी0, 200 लीटर वाला फ्रिज, सोफा सेट और ये सोना, चाँदी का न लेकर अब हीरे की दो अंगूठी, हीरे का हार और 20 देशों की यात्रा करूँगा और अपने सभी सपने को पूरा कर लूंगा।
डाक्टर ने कहा, ‘दादाजी यदि मान लीजिए कि आपकी 10 करोड़ की लाटरी लग जाये तो आप करेंगे?’
दादाजी बोले मेरे सारे सपने तो पूरे हो ही गये अब और पैसे का मैं क्या करूंगा। एक काम करो 10 करोड़ में से 5 करोड़ अब तुम रख लो, डाक्टर साहब को दिल का दौरा पड़ा और वो मर गये।
Funny Story ‘मुसीबत मोल लेना’

दो दोस्त स्कूटर चलाते हुए अपने गाँव जा रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद उन्होने सोचा कि कुछ नाश्ता कर लिया जाय।
सड़क के किनारे एक छोटे से ढाबे पर दोनों रुके। दोनों ने अपना-अपना स्कूटर को खड़ा किया और कुर्सी पर जाकर बैठ गये। खाने का आर्डर देने ही जा रहे थे, कि उन दोनों को शरारत सूझी।
एक ट्रक ड्राइवर ढाबे पर पहले से बैठा था। ट्रक ड्राइवर ने खाने का ऑर्डर पहले ही दे चुका था। ट्रक ड्राइवर के पास जैसे ही खाने की थाली आयी, दोनों ने थाली खींच ली पूरा खाना खा गये। ट्रक ड्राइवर ने कोई जवाब नहीं दिया और बिना खाना खाये ही थाली के पैसे दिए और चला गया।
ट्रक ड्राइवर के जाने के बाद दोनों खूब जोर-जोर से हँसने लगे। एक दोस्त ने कहा डरपोक है, बेचारे को जाने दो। दूसरे ने कहा बहुत कमजोर लग रहा था।
वेटर उन दोनों दोस्तों की बातों को ध्यान से सुन रहा था, और बाहर की ओर देख रहा था। वेटर ने उन दोनों दोस्तों को बताया, कि ट्रक ड्राइवर बहुत ही डरपोक और कमजोर था।
ट्रक ड्राइवर को ट्रक चलाना भी उसको नहीं आता था। ट्रक ड्राइवर आप दोनों की स्कूटर को ठोकर मारकर रौंदता हुआ चला गया।
दोनों सोचने लगे कि हम लोगों ने बिना कारण ही मुसीबत मोल ले लिया।
Funny Story ‘जूता चुराई’
Best Funny Short Story In Hindi
मैं और मेरा मित्र हम दोनों मेरे चचेरे भाई की शादी में गये थे। जैसा कि आप सभी जानते है कि जूता चुराई कि रस्म हर शादी-विवाह कि अपनी एक अलग ही कहानी होती है।
ज्यादातर ये देखा गया है कि दूल्हे का जूता चुरायी में कई बार थोड़ा ज्यादा ही मजाक और हो हल्ला हो जाता है। शादी में दो पक्ष हो जाते है, एक जूता चुराने वाला और दूसरा पक्ष जूता चोरी होने से बचाने वाला ।
दूल्हे की सालियाँ जूता चोरी करने के बारे में विचार कर रही थी। दूल्हे का जूता कौन से नये तरीके से चुराया जाय कि जिससे किसी को पता भी न चले।
हम दोनों को एक शरारत सूझी सोचा क्यों न सालियों से थोड़ा मजाक ही कर लिया जाय। मेरे चचेरे भाई ने जैसे ही पूजा पर जाने के लिए जूते उतारे। मैं और मेरा मित्र हम दोनों ने अपने जूते दूल्हे के जूते के पास उतार दिये ।
हम लोग इंतजार करने लगे कि दूल्हे की सालियाँ अब दूल्हे का जूता पहचान कर चोरी कर पाती है या नहीं।
मुझे लगता है कि इतिहास में यह पहला मामला था। दूल्हे का जूते सामने ही रखे थे, लेकिन कोई जूता चोरी करने आ ही नहीं रहा था।
हम दोनों इंतजार ही कर रहे थे और दूल्हे की सालियाँ परेशान हो रही थीं। दूल्हे की सालियों को समझ में नहीं आ रहा था, कि दूल्हे का जूता कौन सा है?
दूल्हे की सालियाँ थोड़ा कन्फ्यूज हो गयी। थोड़ा सोच विचार करने के बाद दूल्हे की सालियाँ आयीं और मेरे मित्र का जूता गलती से उठा ले गई ।
हम कई बाराती और मेरा मित्र हम जोर-जोर से हँसने लगे । दूल्हे की सालियाँ सोचने लगी कि लगता है, गलती से किसी दूसरे का जूता हमने चुरा लिया है।
दूल्हे की सालियों ने मेरे मित्र का जूता वापस रखकर दूल्हे का जूता चुरा ले गई। हम फिर जोर-जोर से हँसने लगे दूल्हे की सालियाँ फिर से सोचने विचार करने लगी।
सभी लड़कियों को महसूस हुआ कि हमने गलती से किसी बाराती का जूता चुरा लिया है। फिर उन्होंने दूल्हे का जूता वापस कर मेरा जूता चोरी कर ले गई।
हम लोग फिर जोर-जोर से हँसने लगे फिर क्या था? दूल्हे की सालियों ने हम तीनों के जूते उठाये और लेकर भाग गई।
हमने पूछा शादी तो हमारे बड़े भईया की है, तो जूते हमारे और हमारे मित्र के क्यों चुराये गये है। दूल्हे की सालियों ने कहा कि दूल्हे के साथ दूल्हे के दोस्तों को जूते चुरवाई के रु0 1000/- देने पड़ेगें।
हमने कहा जूते हमारे है तो रुपये भी हम ही देंगे। रु0 1000/- नहीं, रु0 2000/- हजार ले लीजिये परेशानी वाली कोई बात नहीं है।
दूल्हे को जूते चुरवाई के पैसे साथ उनको एक लुगाई भी आप लोग दे रहे हैं, वही स्कीम हम पर भी लागू कीजिए । हम दोनों के लिए भी एक-एक लुगाई दे दीजिए।
हम सब जोर-जोर से हँसने लगे। वहाँ का माहौल बहुत ही खुशनुमा हो गया।
इसी खुशनुमा माहौल में दूल्हे की सालियों की ओर से आवाज आई कि हममें से कौन है ? जिसको आप लुगाई बनायेंगे, हमने बिना दिमाग लगाये बोला जिसने सवाल किया है, हम तो उससे भी काम चला लेंगे।
फिर क्या था? हम सब फिर से जोर-जोर से हँसने लगे।
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Funny Story ‘फिसल पड़े तो हर-हर गंगे’

Short Funny Story
रोहन जिसकी उम्र 18 वर्ष की है । वह अपने परिवार के 6 लोगों के साथ जनवरी के महीने में गंगोत्री नदी जो उत्तरांचल में बहती है, उसे देखने के लिए गये थे।
वो सुबह का दृश्य इतना सुन्दर महसूस हो रहा था। दिल खुश हो रहा था, कि वाह क्या शानदार जबरदस्त ठंडी का मौसम है।
उस समय ठंड कुछ ज्यादा ही थी, जो अक्सर जनवरी के महीने में 1 डिग्री से 5 डिग्री के बीच में रहता है।
नदी के किनारे रोहन ने कुछ लोगो को नदी में नहाते हुए देखा। उसका भी मन नहाने को होने लगा। परिवार के सभी लोग गंगोत्री में नहाने का आनंद ले रहे थे।
रोहन ने नदी के पानी में हाथ लगाकर पानी का तापमान चेक किया, नहाना नहीं है ये निश्चय किया। पानी बहुत ठंडा था।
रोहन नदी के किनारे खड़े होकर यह सोचने लगा पानी बहुत ठंडा है । नदी का पानी हाथ में लेकर अपने सिर पर डाल कर सिर्फ नहाने की फीलिंग को महसूस करना चाह रहा था ।
वह नदी के किनारे पहुँचा और उसने पानी में अपने हाथ में लिया ही था, कि उसका पैर फिसला और वो पानी में गिर गया। रोहन पूरी तरह से भीग गया। नदी का पानी बहुत ठंडा होने के कारण वह जैसे-तैसे बाहर निकला।
रोहन के हाथ पैर बहुत ठंडे हो गये थे। वह लगातार काँपता ही जा रहा था। रोहन अपने जूते के फीते भी नहीं बांध पा रहा था। बड़ी मुश्किल से चाय-कॉफी पीने के लगभग एक घंटे बाद वह सामान्य हो पाया।
रोहन को एक कहावत याद आ रही थी कि ‘फिसल पड़े तो हर-हर गंगे’ वाली फीलिंग आ रही थी।
Funny Story ‘मेरे पेन की स्याही खत्म हो गई’

Best Funny Short Story in Hindi
एक बार एक बीमार व्यक्ति डाक्टर के पास गया। डाक्टर ने उसे गौर से देखा और महसूस किया किया कि वह व्यक्ति वाकई में बहुत बीमार है।
डॉक्टर ने उस बीमार व्यक्ति से कहा कि तुम परेशान बिल्कुत मत हो, तुम बिलकुल ठीक हो जाओगे।
मैं पर्चे में सिर्फ 15 दिन तक दवाई लिख रहा हूँ। समय से दवाई खाओ और अपना हाल 15 दिन बाद मुझे आकर बताना, बीमार व्यक्ति ने कहा ठीक है। वह व्यक्ति पर्चा लेकर मेडिकल स्टोर पर गया और दवाईयाँ लेने के लिए।
मेडिकल स्टोर वाले ने बीमार व्यक्ति से कहा, कि एक दवाई को छोड़कर सारी दवाईयाँ आपको मिल जायेगी। मरीज ने कहा ठीक है आप दवाइयाँ दे दीजिए, वो एक दवाई जो आपके पास नहीं मिल रही है मैं किसी और मेडिकल स्टोर से ले लूंगा।
बीमार व्यक्ति डाक्टर का लिखा हुआ दवाइयों का पर्चा लेकर दूसरे मेडिकल स्टोर पर गया, लेकिन दवाई नहीं मिली।
वह बीमार व्यक्ति दवाइयों का पर्चा लेकर लगभग 100 से ज्यादा मेडिकल स्टोर पर गया, पर वो एक दवाई नहीं मिली।
अन्त में वह थक-हार के वापस डाक्टर के पास गया, और डाक्टर साहब कहा कि ये 1 दवाई छोड़कर सभी दवाईयाँ मिल गई है।
डाक्टर साहब जो दवाई नहीं मिल रही है उसकी जगह दूसरी दवाई लिख दीजिए। आपकी लिखावट से मेडिकल स्टोर वाला समझ नहीं पा रहा है कि दवाई का असली में नाम क्या है ?
डाक्टर साहब ने बोला कि जिस दवाई के बारे में तुम बात कर रहे हो वो कोई दवाई नहीं है। जैसे ही मैने दवाईयों का नाम लिखना शुरू किया मेरे पेन की स्याही खत्म हो गई थी तभी मैंने दूसरे पेन से सारी दवाईयाँ लिखी हैं जो आपको मिल चुकी है।
Conclusion:
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